भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार / तुलसी रमण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुर्राता, भौंकता
वह झपटा मेरी ओर
मैंने बजाई चुटकी
और पुचकारा
उसने दुम हिलाई
और कूँ-कूँ कर कहा-
कौन नहीं चाहता आख़िर
प्यार।