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"प्राप्ति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हें खोजता था मैं,<br>
 
तुम्हें खोजता था मैं,<br>
 
पा नहीं सका,<br>
 
पा नहीं सका,<br>

18:56, 24 जून 2009 का अवतरण

तुम्हें खोजता था मैं,
पा नहीं सका,
हवा बन बहीं तुम, जब
मैं थका, रुका ।

मुझे भर लिया तुमने गोद में,
कितने चुम्बन दिये,
मेरे मानव-मनोविनोद में
नैसर्गिकता लिये;

सूखे श्रम-सीकर वे
छबि के निर्झर झरे नयनों से,
शक्त शिरा‌एँ हु‌ईं रक्त-वाह ले,
मिलीं - तुम मिलीं, अन्तर कह उठा
जब थका, रुका ।