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प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप !
 
एक क्रौंच खग का सुन क्रंदन
प्रिया को दे वियोग परिताप,
कैसे मन माना कि कभी आये न पलटकर आप !
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