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"प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं<br>
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हीरक सी वह याद<br>
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बनेगा जीवन सोना,<br>
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खरा इसको है होना!<br>
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चल ज्वाला के देश जहाँ अङ्गारे ही हैं!<br><br>
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प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं
गिरा दिन पलकें खोलीं<br>
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हीरक सी वह याद
मैंने दुख में प्रथम <br>
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बनेगा जीवन सोना,
तभी सुख-मिश्री घोली!<br>
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जल जल तप तप किन्तु
ठहरें पल भर देव अश्रु यह खारे ही हैं!<br><br>
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खरा इसको है होना!
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चल ज्वाला के देश जहाँ अङ्गारे ही हैं!
  
ओढे मेरी छाँह<br>
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तम-तमाल ने फूल
राज देती उजियाला,<br>
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गिरा दिन पलकें खोलीं
रजकण मृदु-पद चूम<br>
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मैंने दुख में प्रथम
हुए मुकुलों की माला!<br>
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तभी सुख-मिश्री घोली!
मेरा चिर इतिहास चमकते तारे ही हैं!<br>
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ठहरें पल भर देव अश्रु यह खारे ही हैं!
आकुलता ही आज<br>
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हो गई तन्मय राधा,<br>
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ओढे मेरी छाँह
विरह बना आराध्य<br>
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राज देती उजियाला,
द्वैत क्या कैसी बाधा!<br>
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रजकण मृदु-पद चूम
खोना पाना हुआ जीत वे हारे ही हैं!<br><br>
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हुए मुकुलों की माला!
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मेरा चिर इतिहास चमकते तारे ही हैं!
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आकुलता ही आज
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हो गई तन्मय राधा,
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विरह बना आराध्य
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द्वैत क्या कैसी बाधा!
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खोना पाना हुआ जीत वे हारे ही हैं!</poem>

21:20, 11 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण


प्रिय-पथ के यह मुझे अति प्यारे ही हैं
हीरक सी वह याद
बनेगा जीवन सोना,
जल जल तप तप किन्तु
खरा इसको है होना!
चल ज्वाला के देश जहाँ अङ्गारे ही हैं!

तम-तमाल ने फूल
गिरा दिन पलकें खोलीं
मैंने दुख में प्रथम
तभी सुख-मिश्री घोली!
ठहरें पल भर देव अश्रु यह खारे ही हैं!

ओढे मेरी छाँह
राज देती उजियाला,
रजकण मृदु-पद चूम
हुए मुकुलों की माला!
मेरा चिर इतिहास चमकते तारे ही हैं!
आकुलता ही आज
हो गई तन्मय राधा,
विरह बना आराध्य
द्वैत क्या कैसी बाधा!
खोना पाना हुआ जीत वे हारे ही हैं!