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प्रेम-प्यार के बाते छोड़ऽ / कैलाश झा ‘किंकर’

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प्रेम-प्यार के बाते छोड़ऽ।

रूप के जे दीवाना भेलै
दर्दे दिल अफसाना भेलै
घऽर-बाहर सब दुश्मन ओकरऽ
ओकरे पर ई गाना भेलै

बहुत कहलियै हम्में ओकरा
नै नैना सें नैना जोड़ऽ।

लैला मजनूँ आबेॅ कहाँ छै
धोखा के बाजार लगै छै
दिल बहलाबै खातिर दुनियाँ
कटपिस आबेॅ प्यार करै छै

करथौं नै वें बियाह तोरा सँ
चाहे नाता कत्तो जोड़ऽ।

दिल तेॅ एक खिलौना भेलै
ओढ़ना आरु बिछौना भेलै
तीन बरस में फटथौं निश्चित
धोखा रूप सलोना भेलै

नै कानि-कानि केॅ लोर बहाबऽ
बल्हों नै तों माथा फोड़ऽ।

घऽर गृहस्थी बसबऽ पहिने
जा बियाही केॅ कनियाँ आनऽ
कमबऽ खा आ खुशी-खुशी सँ
एकेॅ बात हमरऽ तों मानऽ

पानी नीयन ढरकैवाला
दिशाहीन जजवाते छोड़ऽ।