भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम किये जा प्रेम है, नहीं प्रेम में पाप / शिवदीन राम जोशी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:05, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी }} <poem> प्रेम बिना जीव...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम बिना जीवन नीरस सरस प्रेम सरसाय,
धन्य दिवस प्रेमी मिले प्रेम सुधा बरसाय।
प्रेम सुधा बरसाय प्रेम फल ईश्वर अरपन,
फल चारों मिल जाय ज्ञानमय देखो दरपन।
कर भक्ति भगवान की राम नाम के संग,
उर शिवदीन निहारले अनुपम अद्भुत रंग।
राम गुण गायरे।।