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"प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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पूजा पत्री प्रेम की मन की माला ठीक,
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प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो,
प्रेम प्यार परमात्मा मार्ग भक्ति का नीक।
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प्रेम के संग व प्रेम उमंग से प्रेम की गंग में स्नान संवारो।
मार्ग भक्ति का नीक प्रेम दे उर में दाता,
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प्रेम का हार व प्रेम शृंगार से, प्रेम की पूजन और चितारो,
बढे  प्रेम से प्रेम,  प्रेम है भाग्य विधाता।
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प्रेम प्रभु से रच्यो शिवदीन, सदा दिल में यह प्रेम विचारो।
शिवदीन प्रेम ही है प्रभु, संत प्रेम का रूप,
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प्रेम, प्रेम से दे जना, साधु  सत्य स्वरूप।
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राम गुण गायरे।
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10:11, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण

प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो,
प्रेम के संग व प्रेम उमंग से प्रेम की गंग में स्नान संवारो।
प्रेम का हार व प्रेम शृंगार से, प्रेम की पूजन और चितारो,
प्रेम प्रभु से रच्यो शिवदीन, सदा दिल में यह प्रेम विचारो।