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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
फुलवा बन फुली कचनार फुली कचनार
मालिन बिटिया फूलऽ बीनन जाय।
फूल बिन्ता-बिन्ता लगी रे पियास लगी रे पियास,
मालिन बिटिया जलऽ ढूँढन जाय।
जल पीता-पीता खसीर रे कराड़, खसी रे कराड़
मालिन बिटिया डूबऽ चली लाल।
बाट चलन्ता तू ही मऽरोऽ बीर, तू ही मरोऽ बीर,
एनीज नगरी मऽ देजो पुकार,
मालिन बिटिया डूबऽ मऽरीऽ लाल।
मायहर की दौवड़ी दुहरी गुहार-दुहरी गुहार,
सासर की बजी फौरन बात री लाल
मालिन बिटिया डूबऽ मऽरीऽ लाल।
तैरत देख्यो चुनड़ी को छेव-चुनड़ी को छेव,
मालिन बिटिया डूबऽ मऽरीऽ लाल।