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"बन्द पुस्तक को खोलती है हवा / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

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बन्द कमरे में सभ्य लोगों के
 
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नंगे पन को टटोलती है हवा
 
नंगे पन को टटोलती है हवा
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10:43, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण


बन्द पुस्तक को खोलती है हवा
बात करती है बोलती है हवा

जो भी उड़ने की बात करता है
उसके पंखों को तोलती है हवा

आदमी, पेड़ ,पशु ,परिन्दों में
साँस-संगीत घोलती है हवा

कौन है जो हवा को बाँध सके
इक चुनौती-सी डोलती है हवा

बन्द कमरे में सभ्य लोगों के
नंगे पन को टटोलती है हवा