भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरसात / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मख़दूम मोहिउद्दीन |संग्रह=बिसात-ए-रक़्स / मख़दू…)
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
वो हमदमे<ref>मित्र</ref>-देरीना<ref>पुराना</ref> बिछुड़ जाए, सितम है ।
 
वो हमदमे<ref>मित्र</ref>-देरीना<ref>पुराना</ref> बिछुड़ जाए, सितम है ।
  
नौ ख़ास्ता<ref>नौसिखिया</ref> महबूब का मुँह चूमने वाले
+
नौ ख़ास्ता<ref>नौसीखिया</ref> महबूब का मुँह चूमने वाले
 
इस रुत में ये बे बाल-ओ-परी<ref>निस्सहायता, बेबसी</ref>, हाय सितम है ।
 
इस रुत में ये बे बाल-ओ-परी<ref>निस्सहायता, बेबसी</ref>, हाय सितम है ।
 
</poem>
 
</poem>
  
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

22:19, 30 जनवरी 2011 का अवतरण

इन मस्त हवाओं का ये बरसात का मौसम
तन्हाई में बेयार गुजर जाए, सितम है ।

शग़ले-मय<ref>मदिरा का व्यसन</ref>-ओ-महबूब का रंगीन ज़माना
कालिज की खुराफ़ात में कट जाए, सितम है ।

आग़ाज़े-जवानी<ref>जवानी की शुरूआत</ref> के गुनाहों का तक़द्दुस<ref>महत्ता, श्रेष्ठता</ref>
और दफ़्तरे-बेमाना<ref>निरुद्देश्य के कामों में</ref> मे दब जाए, सितम है ।

जिस पैकरे<ref>शरीर</ref>-लज़्ज़त<ref>स्वाद</ref> से इबारत<ref>संबंधित</ref> है मसर्रत<ref>आनंद</ref>
वो हमदमे<ref>मित्र</ref>-देरीना<ref>पुराना</ref> बिछुड़ जाए, सितम है ।

नौ ख़ास्ता<ref>नौसीखिया</ref> महबूब का मुँह चूमने वाले
इस रुत में ये बे बाल-ओ-परी<ref>निस्सहायता, बेबसी</ref>, हाय सितम है ।

शब्दार्थ
<references/>