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बस स्टैंड / हरूमल सदारंगाणी 'ख़ादिम'

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चौतरफ़ घर
वॾो मैदानु
डिं/गा पेच ऐं गस
हिक किनारे ते
खुतल लोही लठि
लटिकन्दड़ उन ते
पटी चौकुंडी
ऐं बस नम्बरु

मुंहिंजेलड़
एतिरो काफ़ी
त इन्हीअ लठि भरिसां
आहियां मां ई
बस स्टैंड
अजब खख़्सियत।

हिति मुसाफ़िर अचनि
बीहनि विहनि
ऐं ॻाल्हियूं कनि
प्यार जो ज़िकिरु