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बाँसुरी बजाइराख / ज्ञानुवाकर पौडेल

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निरोले झैँ बाँसुरी बजाइराख
हो, देशलाई यसरीनै जलाइराख ।

को आफनो यहाँ अब को पराई ?
जो शक्तिमा छ उसलाइ रिझाइ राख ।

क्रान्तिको नाममा फैलाएर भ्रान्ति
जति सक्दो जन्तालाई कजाइराख ।

पाएनौ कतै रोजगारी त के भो
जो शक्तिमा छ उसलाई रीझाइराख ।

जान त गयौ तिमी टाढा धेरै टाढा
याद चैँ कैले काहीँ दिलाइराख।