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बाराबंकी / रघुवीर सहाय

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मैंने कहा : ज़िन्दाबाद
दल के दल लोग बोले : ज़िन्दाबाद
बोले : कार्यक्रम क्या है ?
मैंने कहा : डर और हिम्मत
बोले : नीति क्या है ?
मैंने कहा : खोज ?
बोले : नीति किसकी है ?
मैंने कहा : क्या ?
बोले : नहीं, किस विचारक की
मैंने कहा : क्या ?
बोले : यदि तुम्हें नहीं पता कि तुम विश्व के
राष्ट्रों में किसके समर्थक हो
तो तुम पर बाराबंकी की जनता विश्वास ही क्यों करे ?