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"बारिश / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की !
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उसे बुला जिसकी चाहत में
 
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तेरा तन-मन भीगा है
 
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प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी!
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और जब इस बारिश के बाद
 
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हिज्र की पहली धूप खिलेगी
 
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तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे।
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे ।
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09:29, 22 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की!
उसे बुला जिसकी चाहत में
तेरा तन-मन भीगा है
प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी!
और जब इस बारिश के बाद
हिज्र की पहली धूप खिलेगी
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे।