भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिकन चले दोनों प्रानी / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 14 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बिकन चले
बिकन चले दोनों प्रानी हो दानी बिकन चले

किनका कारन राजा बिक गए
किनका कारन रानी
किनका कारन रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

सत्य के कारन राजा बिक गए
राजा के कारन रानी
रानी के कारन रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

किनका हाथ में राजा बिक गए
किनका हाथ में रानी
किनका हाथ में रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले

डोम के हाथ में राजा बिक गए
पंडित हाथ में कारन रानी
रानी के संग में रोहित बिक गए
बिक गए तीनों प्रानी हो दानी बिकन चले