भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बिछड़ना उससे भी अब तो गवारा कर लिया हमने / गोविन्द राकेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोविन्द राकेश |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:47, 21 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

बिछड़ना उससे भी अब तो गवारा कर लिया हमने
बहुत मज़बूर हो कर ही किनारा कर लिया हमने

उसे तो दे दिया हम ने सभी कुछ जो हमारा था
लुटाया और खुद को बे सहारा कर लिया हमने

नहीं दिखती शराफ़त की निशानी भी जहाँ में अब
तभी तो बेवफ़ाई का नज़ारा कर लिया हमने

नहीं सूरज ढला तो आसमाँ से आग बरसेगी
दहकती धूप में ही तो गुज़ारा कर लिया हमने

परोसा झूठ फिर उसने हमें बेहद सफ़ाई से
यक़ीं इस बार भी उस पर दुवारा कर लिया हमने