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"बिन तुम्हारे होश में रहना सज़ा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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बिन तुम्हारे होश में रहना सज़ा है।
 
बिन तुम्हारे होश में रहना सज़ा है।
बेखुदी भी बिन तुम्हारे बेमज़ा है।
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बेख़ुदी भी बिन तुम्हारे बेमज़ा है।
  
रब से पहले नाम तेरा ले रहा हूँ,
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रब से पहले नाम-ए-जानाँ ले रहा हूँ,
है, ख़ुदा से आज भी मेरी नज़ा है।        
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है, ख़ुदा से आज भी मेरी नज़ा है।
  
तीन लोकों का तेरे बिन क्या करूँगा,
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क्या करूँगा स्वर्ग, भू, पाताल का मैं
तू नहीं तो जो भी है वो बेवज़ा है।
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बिन तुम्हारे जो भी है वो बेवज़ा है।
  
 
आ रहा हूँ अब तुम्हारे साथ जीने,
 
आ रहा हूँ अब तुम्हारे साथ जीने,
लोग कहते आ रही मेरी कज़ा है।          
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सब को लगता आ रही मेरी कज़ा है।
  
माँगता मैं ताउमर तुझको रहूँगा,
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माँगता मैं उम्र भर तुमको रहूँगा,
 
दे, न दे, मुझको ख़ुदा उसकी रज़ा है।
 
दे, न दे, मुझको ख़ुदा उसकी रज़ा है।
 
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17:33, 24 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

बिन तुम्हारे होश में रहना सज़ा है।
बेख़ुदी भी बिन तुम्हारे बेमज़ा है।

रब से पहले नाम-ए-जानाँ ले रहा हूँ,
है, ख़ुदा से आज भी मेरी नज़ा है।

क्या करूँगा स्वर्ग, भू, पाताल का मैं
बिन तुम्हारे जो भी है वो बेवज़ा है।

आ रहा हूँ अब तुम्हारे साथ जीने,
सब को लगता आ रही मेरी कज़ा है।

माँगता मैं उम्र भर तुमको रहूँगा,
दे, न दे, मुझको ख़ुदा उसकी रज़ा है।