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"बुलाती है मगर जाने का नईं / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर

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सितारें नोच कर  ले जाऊँगा
 
सितारें नोच कर  ले जाऊँगा
में खाली हाथ घर जाने का नईं  
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मैं खाली हाथ घर जाने का नईं  
  
 
वबा फैली हुई है हर तरफ
 
वबा फैली हुई है हर तरफ

20:02, 3 जून 2014 के समय का अवतरण

बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं

सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नईं

वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं

वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं