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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>जवान होता बेटा
जब उडारी भरने लगता है
दूर-दूर तक
तो मांमाँ-बाप केफख्र फ़ख्र का पार नहीं रहता।रहता ।
और बेटी
जब पंख फैलाती है
तो मांमाँ-बाप केफिक्र फ़िक्र का पार नहीं रहता।रहता ।
</poem>
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