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"बेटे की सीख / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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बेटे ने उस दिन बापू से,
कहा,पिताजी वोट डालिये|
आज मिला चुनने का मौका,
इस मौके को को नहीं टालिये|
यह अवसर भी गया हाथ से,
पांच साल फिर न आयेगा|
थोड़ी सी गफलत के कारण,
गलत आदमी चुन जायेगा|
ऐसे में तो अंधकार के,
हाथों सूरज हार जायेगा|
झूठों के चाबुक सॆ सच्चा,
निश्चित ही सच मार खायेगा|
यह कहना है व्यर्थ पिताजी,
कि चुनाव से क्या करना है?
“ सच्चाई के वोट वोट से,
अच्छों की रक्षा करना है|”
उठो पिताजी करो शीघ्रता,
अच्छे मतदाता बन जाओ|
किसी योग्य अच्छे व्यक्ति को,
चलो वोट डालकर आओ|