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"बेरुख़ी तो मेरे सरताज नहीं होती है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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पर वो पहले सी नज़र आज नहीं होती है | पर वो पहले सी नज़र आज नहीं होती है | ||
− | रूप | + | रूप मोहताज है बन्दों की नज़र का लेकिन |
− | बंदगी रूप की | + | बंदगी रूप की मोहताज नहीं होती है |
सर पे काँटें भी बड़े शौक से रखते हैं गुलाब | सर पे काँटें भी बड़े शौक से रखते हैं गुलाब | ||
ताजपोशी तो बिना ताज नहीं होती है | ताजपोशी तो बिना ताज नहीं होती है | ||
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01:27, 8 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
बेरुख़ी तो मेरे सरताज नहीं होती है
पर वो पहले सी नज़र आज नहीं होती है
रूप मोहताज है बन्दों की नज़र का लेकिन
बंदगी रूप की मोहताज नहीं होती है
सर पे काँटें भी बड़े शौक से रखते हैं गुलाब
ताजपोशी तो बिना ताज नहीं होती है