भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भरमत भूत संग / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:46, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज' }} {{KKCatKavitt...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भरमत भूत संग, भंग मदमाते अंग,
भसम रमाये भकुआए लसे बेस है ।
ग्रस्त उन्माद नहिं हरख विखाद नेकु,
भूखन भुजंग मनो विगत कलेस हैं।
भाव में मगन पाय विरह सती के उर,
बास समसान माहि राखत हमेस हैं।
परम कृपाल मोहि पाले ततकाल,
सदा रक्षक ‘सरोज’ मेरी विरही महेस हैं।