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भारत माँ की शान / उषा यादव

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कल के बच्चे की दुनिया थी,
खेल-खिलौनों का संसार।
टाफी-बिस्कुट, मेले-ठेले,
या नभ का चन्दा सुकुमार।

किन्तु आज का नन्हा-मुन्ना,
कम्प्यूटर से रखे लगाव।
नई सदी की पदचापों को,
वह सुनता मन में भर चाव।

पुलक सोचती माँ, यह बच्चा,
रच देगा जब नया विहान।
विश्व-पटल पर कैसी अद्भुत,
होगी भारत माँ शान।