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"भीड़ / महेश सन्तुष्ट" के अवतरणों में अंतर

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विश्व युद्ध से भी ज्यादा
 
विश्व युद्ध से भी ज्यादा
 
लोगों को कुचला है।  
 
लोगों को कुचला है।  
 
'''मूल राजस्थानी से अनुवाद : दीनदयाल शर्मा'''
 
 
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12:15, 2 मई 2010 के समय का अवतरण

आदमी ने
अकेलेपन में
आत्महत्या से बड़ा
कोई अपराध नहीं किया

और
भीड़ ने
विश्व युद्ध से भी ज्यादा
लोगों को कुचला है।