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"भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है?/ रवीन्द्र प्रभात" के अवतरणों में अंतर

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भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
 
भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
 
 
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?
 
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?
  
  
 
मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
 
मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
 
 
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?
 
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?
  
  
 
राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
 
राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
 
 
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?
 
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?
  
  
 
वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
 
वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
 
 
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?
 
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?
  
  
 
आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
 
आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
 
 
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?
 
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?
  
  
 
यूँ ग़ैर की करते तरफदारी ' प्रभात'-
 
यूँ ग़ैर की करते तरफदारी ' प्रभात'-
 
 
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?
 
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?
 
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17:31, 5 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?


मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?


राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?


वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?


आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?


यूँ ग़ैर की करते तरफदारी ' प्रभात'-
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?