"महरम नहीं है तू ही नवाहाए-राज़ का / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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महरम<ref>जानने वाला,मर्मज्ञ </ref> नहीं है तू ही नवा-हाए-राज़<ref>भेद-भरी आवाज़ें</ref> का | महरम<ref>जानने वाला,मर्मज्ञ </ref> नहीं है तू ही नवा-हाए-राज़<ref>भेद-भरी आवाज़ें</ref> का | ||
− | याँ वरना जो हिजाब<ref>पर्दा</ref> है , | + | याँ वरना जो हिजाब<ref>पर्दा</ref> है , पर्दाहै साज़ का |
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रंगे-शिकस्ता<ref>उड़ा हुआ रंग</ref> सुबहे-बहारे-नज़ारा है | रंगे-शिकस्ता<ref>उड़ा हुआ रंग</ref> सुबहे-बहारे-नज़ारा है | ||
ये वक़्त है शुगुफ़तने-गुलहाए-नाज़<ref>अदा रूपी फूलों के खिलने का</ref> का | ये वक़्त है शुगुफ़तने-गुलहाए-नाज़<ref>अदा रूपी फूलों के खिलने का</ref> का | ||
− | तू और सूए-ग़ैर<ref>रक़ीब,प्रतिद्वन्द्वी | + | तू और सूए-ग़ैर<ref>रक़ीब,प्रतिद्वन्द्वी की ओर</ref> नज़र-हाए तेज़-तेज़ |
− | + | मैं और दुख तेरी मिज़्गाँ-हाए-दराज़<ref>लंबी, गहरी पलकें</ref> का | |
− | मैं और दुख तेरी मिज़्गाँ-हाए-दराज़<ref>लंबी, गहरी | + | |
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सरफ़ा<ref>लाभ</ref> है ज़ब्ते-आह में मेरा, वगरना मैं | सरफ़ा<ref>लाभ</ref> है ज़ब्ते-आह में मेरा, वगरना मैं | ||
तोअ़मा<ref>टुकड़ा</ref> हूं एक ही नफ़से-जां-गुदाज़<ref>घातक सांस</ref> का | तोअ़मा<ref>टुकड़ा</ref> हूं एक ही नफ़से-जां-गुदाज़<ref>घातक सांस</ref> का | ||
− | हैं बस कि जोशे-बादा से शीशे उछल रहे | + | हैं बस कि जोशे-बादा<ref>मदिरा</ref> से शीशे उछल रहे |
− | हर गोशा-ए-बिसात<ref>शराबखाने का कोना</ref> है सर शीशा-बाज़ का | + | हर गोशा-ए-बिसात<ref>शराबखाने का कोना</ref> है सर शीशा-बाज़<ref>मदारी |
+ | </ref> का | ||
− | काविश<ref>कुरेदना, खोज | + | काविश<ref>कुरेदना, खोज</ref> का दिल करे है तक़ाज़ा कि है हनोज़<ref>अभी</ref> |
− | </ref> का दिल करे है तक़ाज़ा कि है हनोज़<ref>अभी</ref> | + | |
नाख़ुन पे क़रज़ उस गिरहे-नीम-बाज़<ref>अधखुली गाँठ</ref> का | नाख़ुन पे क़रज़ उस गिरहे-नीम-बाज़<ref>अधखुली गाँठ</ref> का | ||
21:02, 12 मार्च 2010 का अवतरण
महरम<ref>जानने वाला,मर्मज्ञ </ref> नहीं है तू ही नवा-हाए-राज़<ref>भेद-भरी आवाज़ें</ref> का
याँ वरना जो हिजाब<ref>पर्दा</ref> है , पर्दाहै साज़ का
रंगे-शिकस्ता<ref>उड़ा हुआ रंग</ref> सुबहे-बहारे-नज़ारा है
ये वक़्त है शुगुफ़तने-गुलहाए-नाज़<ref>अदा रूपी फूलों के खिलने का</ref> का
तू और सूए-ग़ैर<ref>रक़ीब,प्रतिद्वन्द्वी की ओर</ref> नज़र-हाए तेज़-तेज़
मैं और दुख तेरी मिज़्गाँ-हाए-दराज़<ref>लंबी, गहरी पलकें</ref> का
सरफ़ा<ref>लाभ</ref> है ज़ब्ते-आह में मेरा, वगरना मैं
तोअ़मा<ref>टुकड़ा</ref> हूं एक ही नफ़से-जां-गुदाज़<ref>घातक सांस</ref> का
हैं बस कि जोशे-बादा<ref>मदिरा</ref> से शीशे उछल रहे
हर गोशा-ए-बिसात<ref>शराबखाने का कोना</ref> है सर शीशा-बाज़<ref>मदारी
</ref> का
काविश<ref>कुरेदना, खोज</ref> का दिल करे है तक़ाज़ा कि है हनोज़<ref>अभी</ref>
नाख़ुन पे क़रज़ उस गिरहे-नीम-बाज़<ref>अधखुली गाँठ</ref> का
ताराज़े-काविशे-ग़मे-हिजराँ <ref>विरह की पीड़ा से बरबाद</ref> हुआ 'असद'
सीना, कि था दफ़ीना-ए-गुहर-हाए-राज़<ref>रहस्य के मोतियों का दबा ख़जाना</ref> का