भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माँ / कल्पना मिश्रा

Kavita Kosh से
Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 27 फ़रवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्पना मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँ
बचपन की यादें तुम हो
जीवन की पहली बातें तुम हो
जब तुम रोटियाँ बनाती
मानों पूरा संसार रचती थी
हमारे लिये तुम्हारी कही हर बार सच थी
चाहे वो परियों की कहानी हो,
या हो
तुम्हारी ही यादों से निकली कोई बात
तुम्हारे हाथो में, तुम्हारी बातों में
तुम्हारी मुस्कान में
काम के बाद की थकान में
हम सब में खूश रहते थे
भरे-पूरे रहते थे ।
माँ तुम ईश्वर हो
हमारे लिये ।।