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माघ हे सखि मेघ लागल / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो
अपनो वयस ओतहि बितओता, हमर कोन अपराध यो -2
फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली बाजे घमसान यो
कोइली शब्द सुनि हिय मोर सालय, नयना नीर बहि गेल यो
चैत हे सखि पर्व लगईछई, जाय सब सखी गंगा स्नान यो
सब सखी पहिरे पियरी पीताम्बर, हमरा के देव दुःख देल यो
बैसाख हे सखि उसम ज्वाला, घाम सं भीजल शरीर यो
रगरि चन्दन अंग लेपितहूँ, जून गृह रहितथि कन्त यो