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"मानव कवि बन जाता है / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
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16:24, 4 मार्च 2014 के समय का अवतरण
तब मानव कवि बन जाता है!
जब उसको संसार रुलाता,
वह अपनों के समीप जाता,
पर जब वे भी ठुकरा देते
वह निज मन के सम्मुख आता,
पर उसकी दुर्बलता पर जब मन भी उसका मुस्काता है!
तब मानव कवि बन जाता है!