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"मिले हैं जिससे वही निकला दिल का काला है / दरवेश भारती" के अवतरणों में अंतर

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दिलो-दिमाग़  में उसके ही तो उजाला है                                                                                            जवान रुत में भी किरदार जिसका आ'ला है
 
दिलो-दिमाग़  में उसके ही तो उजाला है                                                                                            जवान रुत में भी किरदार जिसका आ'ला है
  
 
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बताया जिसने भी अपनी उदासियों का सबब
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उसी, उसी  ने  सरे-आम  इसे उछाला है
 
उसी, उसी  ने  सरे-आम  इसे उछाला है
  

11:50, 18 अप्रैल 2019 का अवतरण

मिले हैं जिससे वही निकला दिल का कालाहै
यहाँ कहाँ कोई ईमां पे चलने वाला है

दिलो-दिमाग़ में उसके ही तो उजाला है जवान रुत में भी किरदार जिसका आ'ला है

बताया जिसने भी अपनी उदासियों का सबब
उसी, उसी ने सरे-आम इसे उछाला है

करे है याद समन्दर को ज़िन्दगीके लिए
ये तशनःकाम बशर भी बहुत निराला है

न छीन ले कोई रंजो-अलम जो उसने दिये
हज़ार खुशियों की क़ीमत पे इनको पाला है

ये कैसा दौर है आया कि जिसमें हर मासूम
सियासी साज़िशों का बन रहा निवाला है

न डाले फिर कोई दहशत में इसको ऐ 'दरवेश'
धड़कते दिल को किसी तौर अब सँभाला है