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मीठीॅ मीठोॅ गंध लेनॅे मन में उमंग लेनै / अनिल शंकर झा
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मीठीॅ मीठोॅ गंध लेनॅे मन में उमंग लेनै
मनमोही रंग लेनेॅ फूल मन भाय छै।
पोखरी के बीचो बीच कमलोॅ के फूल नाकी
खिललोॅ पहाड़ी पर मन्दिर सुहाय छै।
बड़ी रे पियारो लागै चान अधरतिया के
थमी-थमी चलै नवयुवती लजाय छै।
सबसें पियारो लागै मीत के जुगल चांद
चुहल करिये मोही मंद मुसकाय छै॥