भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मीठी ईद / शुभा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:01, 11 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ मैं रहती हूँ
सिवैयाँ बहुत दूर की चीज़ हैं
स्मृति में ही वे नसीब होती हैं कभी
मीठी ईद की तरह

क़साब भी इसी तरह आ बैठा स्मृति में
ईद पर रूठ कर भाग आया था घर से
मैं चाहती थी उसके साथ सिवैयाँ खाना
और ईद पर नए कपड़ों के बारे में बात करना ख़ासकर
नई जीन्स के बारे में

ये नसीब नहीं हुआ
आगे का हाल आप जानते हैं।