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मुकेश निर्विकार हिन्दी के चर्चित युवा कवि हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएं, कहानियां एवं आलेख प्रकाशित हुए हैं। ‘हत्यारी सदी में जीवन की खोज’ मुकेश निर्विकार का पहला कविता-संग्रह है। इस पुस्तक पर उनको राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0 प्र0 द्वारा 01 लाख रूपये की धनराशि का ‘जयशंकर प्रसाद पुरस्कार’ प्रदान किया गया है। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद, श्री अरविन्द कुमार ‘विदेह’ ने किया है, जो यू0एस0ए0 से ‘सर्च फॉर लाईफ’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्तक के हिन्दी और अंग्रेजी दोनों संस्करण अमेज़न पर उपलब्ध हैं। ‘हत्यारी सदी में जीवन की खोज’ पुस्तक पर ‘जनसत्ता’, ‘अमर उजाला’, ‘पाखी’, ‘बया’, ‘पुस्तक वार्ता’, ‘निकट’, ‘शिवना साहित्यिकी’, ‘युद्धरत आम आदमी’, ‘भारतीय रेल’ आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आदरणीय अश्वघोष, प्रेमपाल शर्मा, राजीव सक्सेना, डॉ0 अनूप सिंह, डॉ0 देवकीनन्दन षर्मा, मनोज कुमार झा, गौतम राजऋषि आदि वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकारों द्वारा समीक्षाऐं प्रकाशित हुई हैं। प्रसिद्ध आलोचक डॉ0 ओम निश्चल जी ने वर्ष 2017 के काव्य परिदृश्य में इस कविता संग्रह को चर्चित कृतियों में षुमार किया है। सुप्रसिद्ध आलोचक श्री राजीव सक्सैना जी के अनुसार, ‘‘ मुकेश निर्विकार कविता के नए कोलंबस हैं जो तमाम विरोधाभासों के बावजूद अपनी सर्जना विशेशकर कविता के जरिए न केवल साहित्यिक संभावनाओं का एक व्यापक आकाश रचते हैं, बल्कि, जीवन में सकारात्मक और सार्थकता को खोजने के लिए ग्रीक मिथकों के ‘सिसिफस’ जैसा यत्न भी निरन्तर करते रहते हैं, दरअसल, मुकेश निर्विकार यक्ष-जिज्ञासाओं और सूक्ष्म युगबोध से प्रेरित किन्तु गहरी आशावादिता के कवि हैं।’’ मुकेश निर्विकार दैनिक जागरण साहित्यिक ‘पुनर्नवा’ में प्रकाशित काव्य-रचना के लिए ‘युवा रचनाकार प्रोत्साहन पुरस्कार’ सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं तथा सम्प्रति हिन्दी त्रै-मासिक पत्रिका ‘बुलन्दप्रभा’ में सह-सम्पादक हैं।