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"मुझे पता नहीं वो क्यों हुआ ख़फ़ा मुझसे / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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तेरी  हक़ीक़तें  पर्दे से  आ  गयीं  बाहर
 
तेरी  हक़ीक़तें  पर्दे से  आ  गयीं  बाहर
कहाँ तू जायेगा छुप के, नज़र  मिला  मुझसे
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कहाँ तू जायेगा छुप के, नज़र  मिला  मुझसे
  
 
यहाँ उसी की क़द्र होती  जिसके पैसा हो
 
यहाँ उसी की क़द्र होती  जिसके पैसा हो
 
ग़रीब हूँ  तो कौन  रखता  वास्ता मुझसे
 
ग़रीब हूँ  तो कौन  रखता  वास्ता मुझसे
 
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14:08, 17 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

मुझे पता नहीं वो क्यों हुआ ख़फ़ा मुझसे
कोई बताये हो गयी है क्या ख़ता मुझसे

खुशी हो , ग़म हो मगर मैं न साथ छोड़ूँगा
यही तो कल किया था उसने वायदा मुझसे

हज़ार क़िस्म के वो ख़्वाब सजाकर लाया
क़रार भी वो मेरा छीन ले गया मुझसे

हरेक बात पे उसकी मैं ऐतबार करूँ
न जाने किसलिए फिर उसको है गिला मुझसे

तेरी हक़ीक़तें पर्दे से आ गयीं बाहर
कहाँ तू जायेगा छुप के, नज़र मिला मुझसे

यहाँ उसी की क़द्र होती जिसके पैसा हो
ग़रीब हूँ तो कौन रखता वास्ता मुझसे