भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे बीते दिनों की याद नहीं / नाज़िम हिक़मत

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 26 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत }} मुझे बीते दिनों की याद नहीं आती -सिवा ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे बीते दिनों की याद नहीं आती

-सिवा गर्मी की वो रात.

और आख़िरी कौंध भी मेरी आंखों की

तुम को बतलाएगी

आने वाले दिनों की बात