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"मुझे शब्द नहीं मिलते हैं, / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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11:05, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

मुझे शब्द नहीं मिलते हैं,
यह व्यथा कैसे तुम्हें समझाऊँ !
वे फूल कहाँ हैं जिनसे तुम्हारे लिए माला गूँथकर लाऊँ!
कोई भी कविता ऐसी नहीं है जो व्यक्त कर सके यह अभिलाषा,
मेरी आँखों में बैठकर पढ़ लो मेरे मन की भाषा