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"मुमकिन नहीं मता-ए-सुख़न / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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मंज़र दिल-ओ-निगाह के जब हो गये उदास <br>
 
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ये बे-फ़ज़ा इलाक़ा-ओ-तन मुझ से चीन ले <br><br>
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गुलरेज़ मेरी नालाकशी से है शाख़ शाख़ <br>
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गुलचीँ का बस चले तो ये फ़न मुझ से छीन ले <br><br>
 
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सींची हैं दिल के ख़ून से मैं ने ये क्यारियाँ <br>
 
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किस की मजाल मेरा चमन मुझ से छीन ले <br><br>
 
किस की मजाल मेरा चमन मुझ से छीन ले <br><br>

16:54, 7 जून 2009 का अवतरण

मुमकिन नहीं मता-ए-सुख़न मुझ से छीन ले
गो बाग़बाँ ये कंज-ए-चमन मुझ से छीन ले

गर एहतराम-ए-रस्म-ए-वफ़ा है तो ऐ ख़ुदा
ये एहतराम-ए-रस्म-ए-कोहन मुझ से छीन ले

मंज़र दिल-ओ-निगाह के जब हो गये उदास
ये बे-फ़ज़ा इलाक़ा-ओ-तन मुझ से छीन ले

गुलरेज़ मेरी नालाकशी से है शाख़-शाख़
गुलचीँ का बस चले तो ये फ़न मुझ से छीन ले

सींची हैं दिल के ख़ून से मैं ने ये क्यारियाँ
किस की मजाल मेरा चमन मुझ से छीन ले