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मुम्किन आहे / रश्मी रामाणी

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मुमकिनि आहे
तोसां गडु
ज़िंदह रहे मुंहिंजे अन्दर जे
रेगिस्तान में
अध-मुअल मछीअ वांगुरु।

मुमकिनि आहे
अरसो गुज़िरण बाद
आईने अॻियां तूं महसूस करीं त
वक़्तु छॾे वियो आहे केतिरा घुंज
तुंहिंजे चेहरे ते।

मुमकिनि आहे
समुन्दर जे छोलियुनि ॾांहुं निहारीन्दे
तूं समुझी सघीं त, ख़ामोशीअ सां टुटन्दड़
पखिड़िजन्दड़ छोलियुनि जी गजि
जनमु ॾीन्दी आहे
नयुनि छोलियुनि खे।