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"मुस्कराते हुए चेहरे हसीन लगते हैं / डी.एम.मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मुस्कराते हुए चेहरे हसीन लगते हैं
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मुस्कराते हुए चेहरे हसीन लगते हैं
वरना इन्सान भी जैसे मशीन लगते हैं।
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वरना इन्सान भी जैसे मशीन लगते हैं
  
उन से उम्मीद थी लोगों के काम आयेंगे
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दूसरों की खुशी, ग़म में शरीक जो होते
पर, वो अपने ग़ुरूर के अधीन लगते हैं।
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वही क़ाबिल, वही मुझको ज़हीन लगते हैं
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जो हवाओं का साथ पा के फिर निकल जाते
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ऐसे बादल भी मुझे अर्थहीन लगते हैं
  
जो हवाओं का साथ पा के निकल जाते हैं
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उनसे उम्मीद थी लोगों के काम आयेंगे
ऐसे बादल भी मुझे अर्थहीन  लगते हैं।
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पर, वो अपने ग़ुरूर के अधीन लगते हैं
  
हुस्न की बात  नहीं, बात है भरोसे  की
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धूल में खेलते बच्चे को उठाकर देखेा
फूल से ख़ार कहीं बेहतरीन लगते हैं।
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अपने बच्चे तो सभी को हसीन लगते हैं
  
जेा क़िताबें नहीं इन्सानियत का पाठ पढ़े
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हुस्न की बात नहीं, बात है भरोसे की
वही आलिम, वही मुझको ज़हीन लगते हैं।
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फूल से ख़ार कहीं बेहतरीन लगते हैं
 
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धूल में  खेलते बच्चे को उठाकर  देखेा
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अपने बच्चे तो सभी को हसीन लगते हैं।
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14:14, 14 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

मुस्कराते हुए चेहरे हसीन लगते हैं
वरना इन्सान भी जैसे मशीन लगते हैं

दूसरों की खुशी, ग़म में शरीक जो होते
वही क़ाबिल, वही मुझको ज़हीन लगते हैं

जो हवाओं का साथ पा के फिर निकल जाते
ऐसे बादल भी मुझे अर्थहीन लगते हैं

उनसे उम्मीद थी लोगों के काम आयेंगे
पर, वो अपने ग़ुरूर के अधीन लगते हैं

धूल में खेलते बच्चे को उठाकर देखेा
अपने बच्चे तो सभी को हसीन लगते हैं

हुस्न की बात नहीं, बात है भरोसे की
फूल से ख़ार कहीं बेहतरीन लगते हैं