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मुहब्बत की घटा छाये , तो हमको याद कर लेना / मनु भारद्वाज

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मुहब्बत की घटा छाये , तो हमको याद कर लेना
अचानक आँख भर आये , तो हमको याद कर लेना

ढले जब चाँद मेरा अक्स उसमे देख लेना तुम
सहेली गीत जब गाये , तो हमको याद कर लेना

नए मौसम में ढलने को ज़रा सा वक़्त लगता है
जो मौसम लुत्फ़ पर आये , तो हमको याद कर लेना

भले ही फूलते फलते शजर को देखना मत तुम
कोई पत्ता जो मुरझाये , तो हमको याद कर लेना

हर इक ग़म को भुला देना, संवरना और सजना तुम
भिखारी दर पे जब आये , तो हमको याद कर लेना

हंसी जब कोई देखो तो तुम भी मुस्कुरा देना
कोई चेहरा उतर जाये , तो हमको याद कर लेना

किसी बारात में जाओ तो गाना-गुनगुनाना तुम
कोई मइय्यत नज़र आये , तो हमको याद कर लेना

कोई जब ज़ख्म दे तुमको 'मनु' उसको दुआ देना
कोई जब ज़ख्म सहलाये , तो हमको याद कर लेना