भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मृत्युबोध / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 7 नवम्बर 2009 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झर गई
सुबह की अंजुरी में
गुनगुनी धूप

ढल चला
दोपहर की धूप में
कोमल इस्पात


रुक गई है फिर
धानी नदी की
बहती आवाज़
और टंग गई
आकाश के खेमे पर
एक कुतिया की चीख़ :