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"मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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सूना ही होगा वंशीवट  
 
सूना ही होगा वंशीवट  
 
जब भी जायेंगे यमुना-तट
 
जब भी जायेंगे यमुना-तट
रोते ही जायेंगे
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                      रोते ही जायेंगे
 
 
 
 
 
गाँव-गाँव में भीड़ लगाये
 
गाँव-गाँव में भीड़ लगाये
 
लोग कहेंगे पूर्व कथायें
 
लोग कहेंगे पूर्व कथायें
 
पर कितनी भी बात बनायें
 
पर कितनी भी बात बनायें
श्याम न मिल पायेंगे
+
                श्याम न मिल पायेंगे
 
 
 
 
 
फिर भी भुला काल की बाधा
 
फिर भी भुला काल की बाधा
 
क्या हरि सँग न दिखेगी राधा
 
क्या हरि सँग न दिखेगी राधा
 
जब अपने गीतों का आधा
 
जब अपने गीतों का आधा
पद भी हम गायेंगे
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                  पद भी हम गायेंगे
  
 
मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
 
मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
 
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!
 
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!
 
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04:45, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!
 
सूनी गलियाँ, सूना पनघट
सूना ही होगा वंशीवट
जब भी जायेंगे यमुना-तट
                      रोते ही जायेंगे
 
गाँव-गाँव में भीड़ लगाये
लोग कहेंगे पूर्व कथायें
पर कितनी भी बात बनायें
                 श्याम न मिल पायेंगे
 
फिर भी भुला काल की बाधा
क्या हरि सँग न दिखेगी राधा
जब अपने गीतों का आधा
                   पद भी हम गायेंगे

मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!