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"मेरी आँखों में जब तक नमी है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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आदमी वह कोई आदमी है!
 
आदमी वह कोई आदमी है!
  
आज उन सुर्ख होंठों की फड़कन
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आज उन सुर्ख़ होंठों की फड़कन
 
एक अहम बात पर आ थमी है
 
एक अहम बात पर आ थमी है
  

22:00, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


मेरी आँखों में जब तक नमी है
तेरी महफ़िल तभी तक जमी है

जो पराई जलन से न तडपे
आदमी वह कोई आदमी है!

आज उन सुर्ख़ होंठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है

प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले, तुझमें कमी है

रंग अच्छा गुलाब आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है