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मेरी नज़र / गुँजन श्रीवास्तव

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मेरी नज़रें वहीं तक
फैलना चाहती हैं
जहाँ तक प्रेम की मौज़ूदगी है

मैं पहली नज़र में
एक मुजरिम को भी
उसकी माँ बनकर देखना चाहता हूँ !