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"मैं हँसना चाहता हूँ / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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दीजिए भर-,<br>
 
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फार्म मंगवाया,गौर से पढ़ा,<br>
 
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मैं हँसना चाहता हूं॥,<br><br>

22:25, 28 जून 2007 का अवतरण

न तो मैं दीवाना हूं,
न तो मैं अफ़साना हूं,
मैं हूं एक आम इंसान,
इसलिए मैं हँसना चाहता हूं।,

जैसे चाट-पकौड़ी खा,
लोग करते हैं जायका परिवर्तन,
वैसे ही मन हँसने को करता है,
मगर हँसी का 'खोमचा',
नहीं लगता चौराहे पर,
बात अन्तर्मन की है,
कई दिनों से मन-,
कर रहा था हँसने को,
किन्तु-,
हँसी आती है मगर,
कितनी सतही? कितनी क्षणिक?,
अन्तस की हर कली के साथ,
मन तरस गया है हँसने को,
यूं तो हँसने के लिए,
नहीं कमी हालातों की,
किन्तु उन पर हँसना,
मुसीबत को दावत देना है।,

हँसने के लिए एक क्षेत्र-,
सुरक्षित है-,
आम आदमी की बेचारगी पर,
हँस सकते हैं,
किन्तु देखकर उसे,
हँसने की जगह रोना आता है।,

सोच समझ कर मैंने लिया निर्णय,
क्यों न हँसने की रिहर्सल की जाए?,
किन्तु प्रश्न था जगह का,
जहां कोई रिस्क न हो?,
आखिर में मैंने कहा,
अपने सहकर्मी से,
मैं आफिस के कमरे में,
हँसना चाहता हूं।,

सुनते ही वह बरस पड़ा,
आफिस में हँसना चाहते हो?,
क्या इसके लिए परमीशन ली है?,
तुरन्त मैंने परमीशन की अर्जी,
आगे भिजवा दी।,

कार्यालय में हंगामा हो गाया,
उच्चाधिकारी खफ़ा हो गया,
वे दौड़े-दौड़े आए और फ़रमाए,
अचानक आप को क्या हो गया है?,
आप क्यों हँसना चाहते हैं?,
मुसीबत में क्यों पड़ना चाहते हैं?,
और हमें भी मुसीबत में क्यों डालना चाहते हैं?,
मैंने सहजता से कहा-,
मुसीबत की क्या बात है?,
मैं तो सिर्फ हँसना चाहता हूं,
वे बोले यही तो मुसीबत है,
आप अधिकारी होकर हँसना चाहते हैं,,
यदि हँसेंगे आप-,
अन्य कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?,
सारा डेकोरम और डिसिप्लिन,
हो जायेगा बर्बाद ।,
मैंने कहा कुछ भी हो,
मैं हँसूंगा जरूर।,

वे बोले ठीक है, हँसने का फार्म,
दीजिए भर-,
और करिए प्रतीक्षा कुछ दिनों तक,
फार्म मंगवाया,गौर से पढ़ा,
नाम ,पद,श्रेणी,उचित कारण के साथ,,
हँसने का दिन ,समय, अवधि,
और लाभ बताना था।,

अंतिम कालम पर मैं ठिठक गया,
पिछली बार हँसने की तिथि भरनी थी,
मुझे याद नहीं ,
मैं पिछली बार कब हँसा था?,
शायद तब!,
जब मां ने गोद में ले,
दूध पिलाया था,या,
पिता ने उंगली पकड़ -,
चलना सिखाया था,
या प्रथम बार पाठ्शाला में जा,
नन्हे-नन्हे साथियों के साथ बैठ,
शायद ! अन्तस की हर कली के साथ-,
तब ही हँसा था।,
पश्चात ईर्ष्या,द्वेष,तनाव,
अंधी दौड़ के सिवा,कुछ याद नहीं,
पिछली बार हँसने की सही तिथि,
मुझे याद नहीं,
अत: मुझे हँसने की अनुमति,
मिल न सकी।,
अब आप ही बताएं,
मैं क्या करूं??क्योंकि-,
मैं हँसना चाहता हूं।,
मैं हँसना चाहता हूं॥,