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"मौसम आया पानी का / लाला जगदलपुरी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>करती हवा बहुत शैतानी!
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<poem>बादल गरजे, धूम मची,
दूर-दूर तक दौड़ लगाती,
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गरमी बीती जान बची,
इस पर उस पर धूल उड़ाती।
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आँखों में हरियाली है,
यहाँ-वहाँ के कचरे लाकर,
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बातों में खुशहाली है,
बिखरा जाती घर-आँगन भर।
+
बूँदों का स्वर ऐसा है,
बार-बार करती मनमानी,
+
जैसे गुड्डी रानी का!
करती हवा बहुत शैतानी!
+
मौसम आया पानी का!
  
चाहे जिसके बाल हिलाती,
+
सँभले पाँव किसानों के,
कपड़े तितर-बितर कर जाती।
+
बदले गाँव किसानों के,
भड़का देती तेज-आग को,
+
चहल-पहल है खेतों में,
बुझा-बुझा देती चिराग को।
+
जल ही जल है खेतों में,
अनदेखी, जानी-पहचानी,
+
धरती ऐसे भीज गई है,
करती हवा बहुत शैतानी!
+
जैसे आँचल नानी का!
 
+
मौसम आया पानी का!
पर जब-जब वह डाल हिलाती,
+
और टपाटप फल टपकाती।
+
हमें सहेली-सी लगती है,
+
एक पहेली-सी लगती है।
+
सिर-आँखों पर यह नादानी,
+
करती हवा बहुत शैतानी!
+
 
</poem>
 
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10:02, 3 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

बादल गरजे, धूम मची,
गरमी बीती जान बची,
आँखों में हरियाली है,
बातों में खुशहाली है,
बूँदों का स्वर ऐसा है,
जैसे गुड्डी रानी का!
मौसम आया पानी का!

सँभले पाँव किसानों के,
बदले गाँव किसानों के,
चहल-पहल है खेतों में,
जल ही जल है खेतों में,
धरती ऐसे भीज गई है,
जैसे आँचल नानी का!
मौसम आया पानी का!