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छलकता | छलकता |
00:05, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
छलकता
नेत्रों की
गहराई से ,
रिझा रिझा कर
कराता
स्वीकार
हार
तोड़ता
कैसे
न जाने
अंहकार को
वह इक
यकायक ।