भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यथास्थिति / एरिष फ़्रीड / प्रतिभा उपाध्याय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 12 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एरिष फ़्रीड |अनुवादक=प्रतिभा उपा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो चाहता है —
संसार जैसा है , वैसा ही रहे

वह नहीं चाहता
कि संसार बाक़ी रहेI


मूल जर्मन से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय