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यही कह रहे हैं सभी अज्म वाले / सिया सचदेव
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यही कह रहे हैं सभी अज्म वाले
मुझे आजमा ले मुझे आजमा ले
यहाँ सच का जैसे रिवाज उठ गया है
सभी ने जुबां पर लगाए हैं ताले
न मंदिर से निस्बत न मस्जिद से रिश्ता
जले घर मैं चूल्हा, मिलें दो निवाले
भरोसा है या रब तिरी रहमतों का
ये जीवन की कश्ती है तेरे हवाले
पडोसी है भूखा ये सोचा नहीं है
तो किस काम के हैं ये मस्जिद शिवाले
किसी माँ का दिल कैसे ये सह सकेगा
कि बच्चों का घर और खाने के लाले
यहाँ हर कदम फूंक कर होगा रखना
सिया हर कदम पे हैं मकड़ी के ज़ाले