भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यह मन बड़ा हठी है नाथ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=तिलक करें रघुवीर / गुलाब …) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
मुँह आगे की थाली सरका | मुँह आगे की थाली सरका | ||
− | + | जलता देख परोसा पर का | |
चिंता इसको, दुनिया भर का | चिंता इसको, दुनिया भर का | ||
कुल धन आये हाथ | कुल धन आये हाथ |
01:46, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
यह मन बड़ा हठी है नाथ
पल भर भी न ठहरने देता मुझे आपके साथ
जब चरणों में ध्यान लगाता
खींच मुझे यह जग में लाता
जुड़ता नहीं आपसे नाता
माला भी लूँ गाँथ
मुँह आगे की थाली सरका
जलता देख परोसा पर का
चिंता इसको, दुनिया भर का
कुल धन आये हाथ
अपने लिए साधना सारी
आप देवता, आप पुजारी
सिर पर हाथ नाथ का भारी
फिर भी फिरे अनाथ
यह मन बड़ा हठी है नाथ
पल भर भी न ठहरने देता मुझे आपके साथ